Book Title:
शैक्षिक प्रबंधन एवं विद्यालय संगठन
Keywords:
नियोजन एवं प्रबन्धन, समाज, संसाधनों व लक्ष्यों, प्रबन्धन, संस्थाएं, नियोजनSynopsis
नियोजन एवं प्रबन्धन एक दूसरे के पूरक हैं और एक के बिना दूसरे का कोई अस्तित्व नहीं है। जब हम किसी कार्य को सुनियोजित ढंग से करने के लिए नियोजन करते हैं जो नियोजन के अनुसार कार्य को सम्पादित करना उचित प्रबन्धन के बगैर सम्भव नहीं है।
समाज में विविध कार्यों के सुचारू रूप से संचालन हेतु अनेकों संस्थाएं कार्य करती हैं। ये संस्थाएं किसी न किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए स्थापित की जाती हैं। किन्हीं पूर्व निधारित उद्देश्यों की प्राप्ति तभी सम्भव है जबकि अपने उपलब्ध संसाधनों व लक्ष्यों के अनुसार एक सुविचारित योजना का निर्माण, उसका उचित क्रियान्वयन व प्रबन्धन किया जाए।
किसी कार्य को सम्बन्धित व्यक्तियों के द्वारा पारस्परिक सहयोग से कुशलतापूर्वक सम्पन्न करने की प्रक्रिया ही प्रबन्धन है। प्रत्येक संस्था चाहे वह राजनीतिक हो या शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक या धार्मिक, उसकी सफलता, विकास व प्रगति की एक अनिवार्य शर्त है उस संस्था का समुचित नियोजन एवं प्रबन्धन। इससे उस संस्थान की विशेषताओं का भी ज्ञान प्राप्त होता है। इसके अभाव में श्रेष्ठ उद्देश्यों को लेकर स्थापित संस्था भी अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो सकती है।

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