Chapter Title:

संविधान का दर्शन

Book Title:


Authors

Sushma Rani
BA, B.Ed, MA, JRF

Synopsis

ब्रिटिश शासन और समाज की रूढ़ियों के विरुद्ध एक लम्बी लड़ाई के बाद जब भारत आजाद हुआ तो उसके समक्ष एक महत्वपूर्ण प्रश्न था कि इस देश को किस दिशा में ले जाया जाये? वे कोन-से सिद्धांत एवं मूल्य होंगे जिन पर देश के शासक एवं शासित के मध्य संबंध निर्भर करेगा? वे कौन-से लक्ष्य होंगे जिन्हें इस देश के नागरिक एवं सरकार प्राप्त करने का प्रयास करेगी?
इस प्रश्न को हल करने के लिए उन्होंने संविधान का निर्माण किया। अतः इस देश के लोगों के लक्ष्यों, उद्देश्यों, आदर्शों और नेतिक मूल्यों को जानने के लिए हमें भारतीय संविधान के दर्शन को समझना होगा।
प्रत्येक संविधान का अपना एक दर्शन होता है। हमारे संविधान के पीछे जो दर्शन है, वह पंडित नेहरू के ऐतिहासिक उद्देश्य-संकल्प में निहित है। उक्त संकल्प में जिन आदर्शों को रखा गया है वे संविधान की उद्देशिका में दिखाई पड़ते हैं।
42वें संशोधन के बाद जिस रूप में उद्देशिका इस समय हमारे संविधान में विद्यमान है, उसके अनुसार, संविधान निर्माता जिन सर्वाेच्च या मूलभूत संवैधानिक मूल्यों में विश्वास करते थे, उन्हें सूचीबद्ध किया जा सकता है। इस बात पर जोर है कि भारतीय गणराज्य के जनगण के मन में इन मूल्यों के प्रति आस्था और प्रतिबद्धता जगे-पनपे तथा आने वाली पीढियां, जिन्हें यह संविधान आगे चलाना होगा, इन मूल्यों से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।

Published

13 January 2022

Series

Details about the available publication format: Paperback

Paperback

ISBN-13 (15)

978-93-94411-47-0

How to Cite

Rani, S. . (Ed.). (2022). संविधान का दर्शन. In (Ed.), संवैधानिक विकास और भारतीय संविधान का निर्माण (pp. 118-139). Shodh Sagar International Publications. https://books.shodhsagar.org/index.php/books/catalog/book/25/chapter/142