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भारतीय दर्शन व शिक्षा दर्शन
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Synopsis
दर्शन शब्द की उत्पत्ति दृश् धातु से हुई है जिसका अर्थ है सम्यक रूप से देखना, जिसे देखा जाए अर्थात ज्ञान प्राप्त किया जाए। ज्ञान प्राप्त करने के बहुत से साधन है जैसे- प्रत्यक्ष, उपमान, अनुमान लेकिन सभी में प्रमुख है, प्रत्यक्ष जो देखा जाए समझा जाए वह दर्शन है इस तरह हम पाते हैं कि दर्शनशाखत्र में सभी विचारधाराएं जो युक्तियों की कसौटी पर प्रमाणित की जाती हैं, सभी सम्मिलित हैं। आज दर्शन का पाश्चात्य अर्थ है- फिलॉसफी जो कि दो यूनानी शब्दों से जुड़कर बना है फिलो जिसका अर्थ है प्रेम तथा सोफिया जिसका अर्थ है विस्डम या ज्ञान, इस प्रकार फिलॉस्फी शब्द का अर्थ है- ज्ञान से प्रेम। भारतीय दर्शन में असंतोष व अतृप्ति से दर्शन का उद्गम होता है । मानव अपने असंतुष्ट वर्तमान में कुछ नया प्राप्त करने के लिए खोज करता रहता है यही सोच ईश्वर, जगत, आत्मा आदि को समझने, जानने की इच्छ्छा में भी दिखाई देता है। यहां दर्शन व्यवस्थित व क्रमबद्ध तरीके से चिंतन करने की कला है ,जो कि तार्किक दृष्टिकोण के साथ जीवन के समग्र वस्तुओं पर विचार करती है, अतः हम कह सकते हैं कि समस्याओं का चिंतन दर्शन कहलाता है। भारतीय दर्शन में चिंतन मनन के साथ वेदों को बहुत महत्व दिया गया है। भारतीय दर्शन की कुछ मूल विशेषताएं हैं ,जो निम्नलिखित हैं-
1. चार्वाक दर्शन को छोड़कर सभी दर्शन पुनर्जन्म के सिद्धांत पर विश्वास करते हैं। मृत्यु से शरीर समाप्त हो जाता है और आत्मा एक शरीर के अंत के बाद दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाती है यहां यह जानना आवश्यक है कि जब ज्ञान से अज्ञान की समाप्ति हो जाती है तब आत्मा बंधन से मुक्त हो जाती है।
2. आत्मा ज्ञाता , कर्ता और भोक्ता है। वह सुख-दुख अनुभूतियों से रहित है। भारतीय दर्शन आत्मा के अस्तित्व पर पूर्ण विश्वास रखता है।
3. भारतीय दर्शन जीवन के लक्ष्य को समझने व पुरुषार्थ करने की प्रेरणा देता है।
4. सभी दर्शन यह मानते हैं कि संसार दुख मे है, और इस दुख का निवारण अवश्यंभावी है।
5. चार्वाक दर्शन को छोड़कर सभी दर्शन नियम को स्वीकार करते हैं, शुभ कर्म का शुभ फल व अशुभ कर्म का अशुभ फल होता है।
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