Chapter Title:

भाषा कौशल का विकास

Book Title:


Authors

Dr. Ramesh Chander
Assistant Professor

Synopsis

भाषा ज्ञान का प्रवेश द्वार है। बालक भाषा के द्वारा ही वस्तुओं के बारे में जानने व समझने का प्रयास करता है। इसके लिए ज्ञानार्जन में बालक भाषा के दो रूपों का प्रयोग करता है - मौखिक और लिखित। मौखिक भाषा के प्रयोग द्वारा वह दूसरों के विचारों को सुनने व अपने विचारों को अभिव्यक्त करने का प्रयास करता है तथा लिखित भाषा द्वारा दूसरों के लिखित विचारों एवं भावों को पढकर समझने तथा अपनी अनुभूतियों एवं भावों को लिखकर संप्रेषित करने का कार्य करता है। इस प्रकार बालक भाषा के द्वारा अपने विचारों, भावों, अनुभूतियों के आदान-प्रदान एवं संप्रेषण के लिए चार क्रियाएँ करता है। सुनना, बोलना, पढ़ना और लिखना। बालक को भाषायी व्यवहार के इन चार प्रमुख कार्यों में अभ्यास एवं प्रशिक्षण द्वारा कुशल एवं निपुण बनाना ही भाषायी कौशल कहलाता है।
भाषा कौशल के विकास की दूसरी अनिवार्य योग्यता बोलना या मौखिक अभिव्यक्ति कौशल है। इसके विकास के लिए आवश्यक है कि बालक में श्रवण कौशल का विकास हो गया हो अर्थात् वह दूसरों के विचारों को शुद्ध-शुद्ध और स्पष्ट सुनने में दक्ष हो। प्रायः देखा जाता है कि अशुद्ध सुनने वाला अशुद्ध बोलता भी है और लिखता भी है। इसीलिए प्रारम्भिक कक्षाओं में श्रवण और मौखिक अभिव्यक्ति के विकास पर ज्यादा बल दिया जाना चाहिए। पढ़ना एक सोद्देश्य एवं सार्थक क्रिया है। इसके आवश्यक तत्व है -एकाग्रता एवं शब्दों में निहित अर्थ एवं भाव को ग्रहण करना। इस कौशल के विकास के लिए बालक निरन्तर अनुकरण एवं गहन अध्ययन की प्रक्रिया को अपनाता है।
लेखन अभिव्यक्ति का सरल माध्यम है इसके लिए सुनना, बोलना और पढ़ना कौशल का विकास आवश्यक है। लेखन कौशल में निपुण एवं दक्ष होने पर बालक अपने विचारों एवं अनुभूतियों को लिपि के माध्यम से स्थायित्व प्रदान करता है। बालकों में भाषायी कौशल पर निपुणता एवं दक्षता प्राप्त करना एक लम्बी प्रक्रिया है। इसके लिए सभी भाषायी, कौशलों का पूर्ण विकास होना आवश्यक है।

Published

10 May 2022

Series

Details about the available publication format: Paperback

Paperback

ISBN-13 (15)

978-93-94411-20-3

How to Cite

Chander, R. . (Ed.). (2022). भाषा कौशल का विकास. In (Ed.), हिंदी शिक्षाशास्त्र (pp. 46-63). Shodh Sagar International Publications. https://books.shodhsagar.org/index.php/books/catalog/book/31/chapter/173