Chapter Title:

हिंदी भाषा में उपलब्धि के मूल्यांकन हेतु परीक्षण

Book Title:


Authors

Dr. Ramesh Chander
Assistant Professor

Synopsis

शिक्षण और मूल्यांकन परस्पर संबंध प्रक्रियाएं हैं। अध्यापक तथा छात्र, दोनों ही शिक्षण और अधिगम की प्रक्रिया के महत्वपूर्ण अंग है। छात्र सीखने में किस सीमा तक समर्थ हो सका है और अध्यापक का शिक्षण कितना प्रभावशाली है, इसका समय समय पर मूल्यांकन करना आवश्यक है। अध्ययनों द्वारा यह प्रमाणित किया गया है किसी के हुए ज्ञान की जानकारी, उसका मूल्यांकन अधिगम और शिक्षण की प्रक्रिया में सहायक है। इस दृष्टि से मूल्यांकन अधिगम- प्रक्रिया का अभिन्न अंग है।
परीक्षण मूल्यांकन का साधन है।” मूल्यांकन” शब्द का प्रयोग बालक के समग्र विकास के संदर्भ में किया जाता है। ’परीक्षणः शब्द का प्रयोग निर्दिष्ट शिक्षण बिंदु, सीखे गए ज्ञान अथवा कुशलता के संदर्भ में होता है। अतः मूल्यांकन के लिए परीक्षण आवश्यक है। परीक्षण के द्वारा अधिगम- प्रक्रिया की कार्यकारिता, निश्चित उद्देश्यों के संदर्भ में उसका विकास आदि का विवरण तथा लेखा जोखा प्राप्त करना संभव है। इस प्रकार परीक्षण परीक्षण की प्रक्रिया द्वारा निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के संदर्भ में अपनाई गई कार्यशैली तथा क्रियात्मकता का विधिवत विवेचन किया जाता है।
परीक्षण के विभिन्न स्वरूपों यथा- निबंधात्मक, वस्तुनिष्ठ तथा लघु उत्तर, कौशल परीक्षण, प्रावीण्य परीक्षण, उपलब्धि परीक्षण आदि की सहायता से समग्र शैक्षिक प्रक्रिया का मूल्यांकन संभव है।
उपलब्धि परीक्षण से आशय
उपलब्धि परीक्षा या उपलब्धि परीक्षण पर मानव जीवन के विभिन्न व्यवसाय क्षेत्रों की तुलना में शैक्षिक क्षेत्र में ज्यादा लोकप्रिय है। अपने शाब्दिक अर्थ में उपलब्धि परीक्षा से अभिप्राय किसी अवधि विशेष में किसी एक या अन्य अधिमम क्षेत्र में, अपने अधिगम यह प्रशिक्षण प्रयासों के द्वारा एक विद्यार्थी ने जो कुछ भी उपलब्धियां अर्जित किया है उसके मापन और मूल्यांकन के लिए प्रयुक्त परीक्षण से है।

Published

10 May 2022

Series

Details about the available publication format: Paperback

Paperback

ISBN-13 (15)

978-93-94411-20-3

How to Cite

Chander, R. . (Ed.). (2022). हिंदी भाषा में उपलब्धि के मूल्यांकन हेतु परीक्षण. In (Ed.), हिंदी शिक्षाशास्त्र (pp. 110-135). Shodh Sagar International Publications. https://books.shodhsagar.org/index.php/books/catalog/book/31/chapter/177