Chapter Title:
अनुसंधान-समस्या का चयन,कथन एव स्त्रोत
Book Title:
Synopsis
अनुसंधान चाहे किसी भी क्षेत्र में किया जाए, उसकी प्रक्रिया लगभग एक-सी ही रहती है। सम्पूर्ण कार्य की क्रमबद्धता सभी क्षेत्रों के अनुसंधानों में समान होती है। व्यवहार विज्ञानों जैसे, मनोविज्ञान, समाजशास्त्र एवं शिक्षा के क्षेत्रों में तो यह सामान्यतया लगभग शत-प्रतिशत ही होती है। पुस्तक के इस भाग में अनुसंधान-प्रक्रिया के उन विशिष्ट चरणों का उल्लेख किया गया है, जिनका पालन सभी व्यवहार-विज्ञानों में किया जाता है। साधारणतया इन क्षेत्रों के अनुसंधानों में निम्नलिखित है-
1 समस्या का चयन, कथन एवं परिभाषीकरण।
2. समस्या-चयन हेतु संबंधित साहित्य का सर्वेक्षण।
3. परिकल्पनाओं का निर्माण।
4. अनुसंधान-सूचनाओं का संकलन
5. अनुसंधान-सामग्री (918) का विश्लेषण।
समस्या का चयन, कथन एवं परिभाषीकरण
उपयुक्त समस्या का चयन सभी शोधकर्ताओं के लिए एक कठिन कार्य होता है। आरम्भ में समस्या चयन हेतुअधिकतर शोधकर्ताओं को इधर-उधर भटकना पड़ता है। प्राय वे यह आशा करते हैं कि उनके शोध-मार्गदर्शक ही उन्हें अपनी ओर से शोध-समस्याएँ देंगे। इस प्रकार की सोच उचित नहीं है. क्योंकि शोध-मार्गदर्शकों के लिए भी यह कार्य सरल नहीं होता। उनके पास भी चयनित शोध-समस्याएँ नहीं होतीं। उपयुक्त समस्या का चयन करने हेतु उन्हें भी उतना ही परिश्रम करना होता है, जितना शोधकर्ता के लिए आवश्यक है। बिना परिश्रम एवं गहन अध्ययन के चुनी हुई शोध-समस्याएँ अधिकतर ऐसी होती हैं. जिन पर पहले ही पर्याप्त शोध-कार्य हो चुका होता है, जो महत्त्वहीन होती हैं, जिनके संबंध में पर्याप्त जानकारी पहले से ही उपलब्ध है, अतः यह जानना शोधकर्ता के लिए अत्यंत आवश्यक है कि शोध-समस्या का चयन किस प्रकार करना चाहिए. किस प्रकार की समस्याएँ शोध हेतु उपयुक्त होती हैं तथा उनकी उपलब्धता के स्रोत कौन-से होते हैं। इन सबका उल्लेख आगे किया गया है।
Pages
Published
Series
Categories
License

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License.