Chapter Title:
प्रयोगात्मक अनुसंधान
Book Title:
Synopsis
प्रयोगात्मक अनुसंधान में वर्णनात्मक एवं ऐतिहासिक अनुसंधान के विपरीत शोधकर्ता अध्ययन की किसी परिस्थिति का जिसे वह उपयुक्त समझता है हेमैन के अनुसार, वह स्वयं किसी परिस्थिति अथवा घटना को उत्पन्न करता है तथा उसके प्रभाव का अध्ययन करता है। प्रयोगात्मक अनुसंधान की रूपरेखा स्पष्ट करने के लिए यह बताना अत्यन्त आवश्यक है कि प्रयोग किसे कहते हैं।
प्रयोगः अर्थ एवं स्वरूप
सत्य अथवा वास्तविक प्रयोग केवल प्रयोगशाला में ही किया जा सकता है क्योंकि उसकी मान्य प्रक्रिया का पालन करना प्रयोगशाला में ही संभव हो सकता है। शिक्षा, मनोविज्ञान एवं समाजशास्त्र के क्षेत्रों में इस मान्य प्रक्रिया का पूर्णतया पालन किया जाना संभव नहीं हो पाता क्योंकि इन क्षेत्रों में अधिकतर जिन को लेकर अध्ययन किए जाते हैं बहुत जटिल होते हैं, तथा प्रयोगशाला में उनका अध्ययन नहीं किया जा सकता। प्रयोग का प्रमुख उद्देश्य अत्यन्त नियंत्रित परिस्थितियों में दो चरों, एक स्वतंत्र तथा दूसरा आश्रित के बीच क्रियात्मक संबंधों को ज्ञात करना होता है, अथवा यों कहंे कि किसी घटना के घटने के पीछे जो परिस्थितियाँ कारक रूप में रहती हैं उनकी खोज करना प्रयोग का उद्देश्य होता है। क्या परिस्थिति ‘क’ परिस्थिति ‘ख’ का कारण है? क्या चर ‘क’ चर ‘ख’ से संबंधित है? इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने हेतु प्रयोग का सहारा लिया जाता है। एक मोटे उदाहरण के लिए क्या बालकों की बुद्धि का स्तर उनकी शैक्षिक उपलब्धि का कारण होता है? क्या सुबह-सुबह चाय पीने से ताजगी आती है?
ऐसी समस्याएँ हैं जिनके समाधान प्रयोगात्मक अनुसंधान के माध्यम से ही संभव होते हैं। अतः प्रयोग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत एक चर ;स्वतंत्र के दूसरे चर ;आश्रित पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कुछअन्य प्रमुख चरों ;नियंत्रित चरों को नियंत्रित करके किया जाता है।
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