Chapter Title:
निरीक्षण या अवलोकन
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Synopsis
यह बहुत प्रचलित विध् िहै। इस विध् िमें मानवीय व्यवहार का अवलोकन किया जाता है तथा उसी के आधर परआंकड़े एकत्रित किये जाते हैं। यह विभिन्न प्रकार की सामाजिक परिस्थितियों में मानवीय व्यवहार के मापन कासीध तरीका है। शिक्षा तथा मनोविज्ञान के क्षेत्रा में इस प्रविध् का उपयोग मुख्यतः नियंत्रित प्रयोगों में किया जाता है। बिना अवलोकन किये हम वुफछ भी अध्ययन नहीं कर सकते। व्यक्तित्व के अनेक पक्षों का ज्ञान इसके द्वारा ही सम्भव होता है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से आदि मानव द्वारा प्रयुक्त मापनविध्यिाँ अवलोकन के अतिरिक्त वुफछ नहीं हैं। उस काल का खानाबदोश शिकारी जानवरों की चीखें सुनता था, बहनेवाली ठंडी हवा का अनुभव करता था, आगमन आदि का ज्ञान अवलोकन विध् से ही करता था। जिस प्रकारज्योतिषी नक्षत्रों का अवलोकन करता है, चिकित्सक रोगी का निरीक्षण उसे छूकर, नाड़ी की गति का हाथ से अनुमानलगाकर उपचार की सलाह देता है, उसी प्रकार, शिक्षा तथा मनोविज्ञान के क्षेत्रा में भी इस विध् िका प्रयोग विभिन्नपरिस्थितियों में छात्रों के व्यवहार का निरीक्षण करने में किया जाता है। व्यक्ति एकान्त में, समूह में, विशिष्टपरिस्थितियों में जो वुफछ क्रियाएँ करता है उनको निरर्थक नहीं समझा जा सकता। प्रायः देखा जाता है कि व्यक्ति बैठे-बैठे या चलते-पिफरते अनेक प्रकार की अनावश्यक क्रियाएँ करता रहता हैμजैसे, उंगलियों का चटकाना, हाथोंका झटकना, अपने आपसे बातें करना आदि। इन अनावश्यक क्रियाओं का व्यक्तित्व के मापन में अत्यध्कि महत्वहै। व्यक्ति के व्यवहार का अवलोकन किये बिना उसके सम्बन्ध् में कोई भी निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। अवलोकन के लिए यह आवश्यक है कि अध्ययन की जाने वाली वस्तु की ओर ही ध्यान लगाया जाये और जोवुफछ भी अवलोकन किया गया है उसे तत्काल लिख लिया जाये, क्योंकि स्मृति के क्षीण होने पर अवलोकन के समय की बातें ध्ूमिल हो जाती हैं। साथ ही, अवलोकन करने वाले में यह क्षमता भी होनी चाहिये कि वह किसीभी प्रकार के संवेगात्मक सन्तुलन का पता लगा सके ।
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