Chapter Title:
व्यक्तित्व मापन
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Synopsis
मनोवैज्ञनिकों के मतानुसार व्यक्तित्व को उन गुणों या लक्षणों का समूह कहा गया है जिनके कारण विभिन्न व्यक्तियों में भिन्नता दिखाई देती है। आधुनिक शिक्षा में व्यक्तिगत विभिन्नता को विशेष महत्व दिया जाता है। विद्यार्थियों को शैक्षिक व्यावसायिक और व्यक्तिगत निर्देश देने लिए व्यक्तित्व की विशेषताओं को जानना आवश्यक होता है अतः शिक्षा की प्रक्रिया में व्यक्तित्व के मापन का व्यापक महत्त्व होता है। प्रमुख विधियों और परीक्षणों पर हम यहाँ विचार करेंगे-
व्यक्तित्व मापन की विधियां या परीक्षण
आत्म निरीक्षण विधि (अर्न्तदर्शन विधि)
इस विधि में व्यक्तित्व-जाँच स्वयं परीक्षक द्वारा या उसके परिचितों की सहायता से की जाती हैं। आत्म निरीक्षण विधि को अर्न्तदर्शन, अन्तर्निरीक्षण विधि भी कहते है।
स्टाउट के अनुसार ‘‘अपना मानसिक क्रियाओं का क्रमबद्ध अध्ययन ही अन्तर्निरीक्षण कहलाता है।’’
वुडवर्थ ने इस विधि को आत्मनिरीक्षण कहा है। इस विधि में व्यक्ति की मानसिक क्रियाएं आत्मगत होती हे। आत्मगत होने के कारण आत्मनिरीक्षण या अन्तर्दर्शन विधि अधिक उपयोगी होती हे। लॉक के अनुसार दृ मस्तिष्क द्वारा अपनी स्वयं की क्रियाओं का निरीक्षण। परिचय रू पूर्वकाल के मनोवैज्ञानिक अपनी मस्तिष्क क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिये इसी विधि पर निर्भर थे। वे इसका प्रयोग अपने अनुभवों का पुनः स्मरण और भावनाओं का मूल्यांकन करने के लिये करते थे। वे सुख, दुख, क्रोध और शान्ति, घृणा और प्रेम के समय अपनी भावनाओं और मानसिक दशाओं का निरीक्षण करके उनका वर्णन करते थे। अन्तर्दर्शन का अर्थ है- ‘‘अपने आप में देखना।’’
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