Chapter Title:
मूल्यांकन
Book Title:
Synopsis
मूल्यांकन का अर्थ है मूल्य का अंकन करना। यह मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया है जो मापन की अपेक्षा अधिक व्यापक है। मूल्यांकन गुणों या विशेषताओं की वांछनीयता स्पष्ट करता है। किसी व्यक्ति में उपस्थित गुणों की मात्रा का विश्लेषणात्मक अथवा गुणात्मक विवरण मूल्यांकन प्रस्तुत करता है और यह बताता है कि किसी निश्चित उद्देश्य हेतु वह कितना उपयुक्त या संतोषप्रद है।
मूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा अधिगम-परिस्थितियों तथा सीखने के अनुभवों के लिये प्रयुक्त की जाने वाली सभी विधियों एवं प्रविधियों की उपादेयता की जांच की जाती है।
बेड फील्ड तथा मोरडोक के अनुसार- “मूल्याकंन किसी सामाजिक, सांस्कृतिक अथवा वैज्ञानिक मानदण्ड के सन्दर्भ में किसी घटना को प्रतीक आवंटित करना हैं जिससे उस घटना का महत्व अथवा मूल्य ज्ञात किया जा सके।’’
‘क्वालेन तथा हन्ना’ के अनुसार- ‘‘विद्यालय में हुए छात्रों के व्यवहार परिवर्तन के सम्बन्ध में प्रदत्तों के संकलन तथा उनकी व्याख्या करने की प्रक्रिया को मूल्यांकन कहते हैं।’’
एन.सी.ई.आर.टी. “मूल्यांकन ऐसी सतत् व व्यवस्थित प्रक्रिया है जो शैक्षिक उद्देश्यों की प्रप्ति की सीमा, अधिगम अनुभवों की प्रभावशीलता का आंकलन करती है” ।
मूल्यांकन प्रक्रिया के तीन प्रमुख अंग हैं-
1. शिक्षण उद्देश्य
2. अधिगम क्रियाएं
3. व्यवहार परिवर्तन
शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए विद्यालय में अधिगम क्रियाएं आयोजित की जाती हैं जिनसे छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन होता है तथा इन व्यवहार परिवर्तनों की तुलना शैक्षिक उद्देश्यों से करके मूल्यांकन किया जाता हैं। अतरू मूल्यांकन एक अत्यन्त व्यापक तथा बहुआयामी प्रत्यय हैं जिसका सम्बन्ध मात्र छात्रों की शैक्षिक उपलब्धि से न होकर उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व के विकास से होता है।
Pages
Published
Series
License

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License.