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पृष्ठपोषण मूल्यांकन
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Synopsis
पृष्ठपोषण शैक्षिक प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है। मूल्यांकन न केवल शैक्षिक प्रक्रिया का ही वरन् जीवन की प्रत्येक प्रक्रिया का एक महन्वपूर्ण अंग है। हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में किसी न किसी रूप में मूल्यांकन की अपेक्षा की जाती है। जिस प्रकार एक डाक्टर अपनी औषधि की प्रभावशीलता का मूल्यांकन रोगी के स्वास्थ्य में सुधार के आधार पर करता है। ठीक उसी प्रकार शिक्षक अपने प्रभावी शिक्षण का मूल्यांकन विद्यार्थियों में हुए अपेक्षित व्यावहारिक परिवर्तन के आधार पर करता है। छात्रों की ओर से मिलने वाले पृष्ठपोषण का उच्च शिक्षा में गुणवत्ता तथा मानक को बनाये रखने के लिए विशेष महन्व है।
पृष्ठपोषण का अर्थ
छात्रों के पृष्ठपोषण का अर्थ अध्यापकों द्वारा लिये गये परीक्षण पर छात्रों के प्रदर्शन पर उनके मूल्यांकन के बारे में जानकारी देना है। पृष्ठपोषण का कार्य व्यवहार परिवर्तन करना है। परीक्षण में छात्र अपनी कमजोरियों को दूर करे। ऐसी प्रविधियों का प्रयोग किया जाता है। सही अनुव्यिाओं की पुष्टि छात्रों की सही अनुव्यिाओं की सम्भावना में वृद्धि करती है। मात्रात्मक पुनर्बलन का सम्बन्ध पृष्ठपोषण से होता है। पृष्ठपोषण प्रविधियाँ व्यवहार में सुधार तथा विकास करती हैं।
पृष्ठपोषण के उद्देश्य
पृष्ठपोषण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें छात्रा तथा शिक्षक दोनों सम्मिलित होते हैं, इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
पृष्ठपोषण प्रमुख उद्देश्य छात्रों का वर्गीकरण करना है।
पृष्ठपोषण के द्वारा छात्रों को उचित शैक्षिक एवं व्यावसायिक मार्ग निर्देशन प्रदान किया जाता है।
पृष्ठपोषण के द्वारा पाठ्यक्रम में उचित संशोधन किया जा सकता है।
पृष्ठपोषण का प्रयोग छात्रों में अधिगम की मात्रा ज्ञात करने में भी किया जाता है।
पृष्ठपोषण के द्वारा शिक्षकों की कुशलता एवं सफलता का मापन किया जाता है।
पृष्ठपोषण के द्वारा छात्रों की दुर्बलताओं एवं योग्यताओं की जानकारी प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
पृष्ठपोषण शिक्षण विधियों की उपयुक्तता की भी जाँच करता है।
पृष्ठपोषण का एक उद्देश्य छात्रों को अपनी समस्याए समझने एवं उनकी प्रगति के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करना भी है।
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