Chapter Title:
शैक्षिक अनुसंधान का क्षेत्र
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Synopsis
शिक्षा के क्षेत्र में किस प्रकार के अनुसंधानों को प्राथमिकता दी जाए यह प्रश्न भी दो दशकों से बराबर उठाया जा रहा है। समय-समय पर इस संबंध में संस्तुतियाँ भी की जाती रही हैं परन्तु शोधकर्ताओं ने इसे कभी गम्भीरता से नहीं लिया। इसका एक कारण तो यह रहा है कि प्राथमिकता का आधार क्या हो इस संबंध में कोई निश्चित मत नहीं बन सका। तृतीय अनुसंधान सर्वेक्षण (1987) के अन्तिम अध्याय में डॉ॰ शिव के. मित्रा ने सुझाव दिया है कि उन समस्याओं को अनुसंधान हेतु प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिनकी राष्टींय शिक्षा-नीतियों में उठाई गई समस्याओं के समाधान उपलब्ध कराने हेतु तत्काल आवश्यकता है। इससे पूर्व भी 1975 में एन.सी.ई.आर.टी. के एक प्रकाशन एजुकेशनल रिसर्च एण्ड इन्नोवेशन्स में निम्नलिखित समस्याओं को शिक्षा-अनुसंधान की प्राथमिकता सूची में रखा गया था-
ऽ समाज के गरीब वर्ग के बालकों की शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के समाधान खोजना
ऽ अन्तर्विषयी अनुसंधान
ऽ प्रतिभाओं की खोज एवं उनके विकास से संबंधित समस्याएँ
ऽ चौदह वर्ष तक के बालकों की अनिवार्य एवं निःशुल्क शिक्षा जिसका भारतीय संविधान की धारा 45 में प्रावधान है से संबंधित समस्याओं का अध्ययन
ऽ अनुसूचित जातियों एवं जन-जातियों के बालकों की शिक्षा से संबंधित समस्याओं का अध्ययन।
कुछ अन्य शिक्षा-शास्त्रिायों ने भी इस संबंध् में विचार व्यक्त किए हैं। उन सबको ध्यान में रखते हुए शिक्षा के निम्नलिखित क्षेत्रों में उपरोक्त के अतिरिक्त प्राथमिकता के आधार पर अनुसंधन की आवश्यकता प्रतीत होती है
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