Chapter Title:

ऐतिहासिक अनुसंधन

Book Title:


Authors

Dr. Samsaad Ali
Assistant Professor

Synopsis

सृष्टि में जो कुछ भी है उसका अतीत भी होता है, वर्तमान भी एवं भविष्य भी। कोई भी घटना, संस्था, विचार, धरण, नीति, आर्थिक-सामाजिक विशेषता, सिधांत अथवा परिपाटी ऐसी नहीं जिसका अतीत न हो, जिसका इतिहास न हो, साथ ही कुछ  भी ऐसा नहीं है जिसका इतिहास उसके वर्तमान एवं भविष्य से न जुड़ा हो। अतः किसी भी घटना, प्रक्रिया अथवा परम्परा को भली-भाँति समझने के लिए कई बार उसके अतीत में झाँककर देखना भी आवश्यक होता है। दूसरे, मनुष्य की यह जिज्ञासा बहुत स्वभाविक होती है कि जो उसकेअनुभव की सीमा में आता है वह उसके अतीत को भी जानना चाहता है। इसी पृष्ठभूमि में ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में ऐतिहासिक अनुसंधान का सूत्रापात एवं विकास हुआ। शिक्षा, मनोविज्ञान एवं समाजशास्त्रा के क्षेत्रों में भी ये अनुसंधन महत्त्वपूर्ण समझे गए। आज इन क्षेत्रों में अनेक ऐसे अध्ययन उपलब् ध हैं जो इस श्रेणी में आते हैं।
ऐतिहासिक अनुसंधान का अर्थ एवं स्वरूप
जो बीत चुका है, अतीत बन चुका है उसका वर्णन, लेखन एवं अध्ययन इतिहास के नाम से जाना जाता है। शिक्षा एवं समाजशास्त्र के क्षेत्र में ऐसा बहुत कुछ है जिस की जड़ें अतीत की घटनाओं तक फे ली हैं। अतः उसके वर्तमान स्वरूप को पूर्णतया समझने के लिए उसके  इस अतीत को जानना भी आवश्यक है। ऐसा न भी हो तो भी शैक्षिक एवं समाजशास्त्राीय प्रक्रियाओं एवं परम्पराओं के अतीत स्वयं में महत्त्वपूर्ण एवं जानने योग्य होते हैं। वे स्वयं मानवीय जिज्ञासा उत्पन्न करते हैं। अनेक बार अतीत के अध्ययन भविष्य में वांछनीय परिवर्तनों की दिशा की ओर भी संकेत करते हैं। अतः ऐतिहासिक अनुसंधान की परिभाषा इस प्रकार की जाती है ऐसे अनुसंधान जिनमें उन घटनाओं, प्रक्रियाओं एवं परम्पराओं का अध्ययन किया जाता है जो अतीत में घटी होती हैं। 

Published

30 November 2022

Series

Details about the available publication format: Paperback

Paperback

ISBN-13 (15)

978-93-94411-38-8

How to Cite

Ali, S. . (Ed.). (2022). ऐतिहासिक अनुसंधन. In (Ed.), शिक्षा में अनुसंधान पद्धति : एक विवेचना (pp. 116-151). Shodh Sagar International Publications. https://books.shodhsagar.org/index.php/books/catalog/book/49/chapter/275