Chapter Title:

धनपत सांगी तथा जियालाल सॉंगी का जीवन-परिचय

Book Title:


Authors

Dr. Rajender Singh
Lecturer in music. Jat Sr.Sec.School, JIND

Synopsis

धनपत सांगी
धनपत सॉंगी का नाम हरियाणा के सॉंगियों में प्रमुख स्थान है । धनपत सॉंगी हरियाणवी सॉंग परम्परा के प्रमुख कवि माने जाते हैं । 19वी शताब्दी के सॉंगियों में उनका साहित्य श्रेष्ठ माना जाता है । उस समय मनोरंजन का मुख्य साधन सिर्फ हरियाणवी सॉंग ही होता था । दूर-दराज से लोग दूसरे गॉंवों में सांॅग देखने जाते थे । सॉंगियों के गाने-बजाने की आवाज दूर तक सुनाई देती थी । 2.1 जीवन-परिचय हरियाणा की भूमि पर 19वीं शताब्दी में कई सॉंगियों का जन्म हुआ, जैेसे पं. लखमी चन्द, धनपत सिंह, पं. मांगे राम, राम किशन ब्यास, सुल्तान, बाजे भगत आदि । धनपत सिंह हरियाणा के महत्त्वपूर्ण सांगियों की श्रेणी में आते हैं । धनपत सिंह ने सॉंग कला को नई दिशा दी है । उनका जन्म सन् 1916 ई. के लगभग हरियाणा राज्य के रोहतक जिले के गॉंव निन्दाणा (चौबीसी)  में हुआ । उनके पिता का नाम चन्दा मीर तथा माता का नाम भोली देवी था । इनके गुरु का नाम कवि जमुवा मीर, जिनका गॉंव रोहतक जिले का सुनारियां है । धनपत सिंह की सॉंग कला के प्रति गहन रुचि थी । इनका स्वर मधुर तथा ऊॅंचा था । इनकी परम्परा में बन्दा मीर, श्याम लाल (ठहरो श्याम) धरोदी, बनवारी ठेल, प्रकाश बंासी, चन्दगी राम, प्यारे लाल, तारा, सूबे, मैंनपाल, सदर धरोदी आदि हुए । धनपत सिंह उर्दू में चौथी कक्षा तक पढ़े हुए थे । उन्हें वेद-शास्त्रों का अच्छा ज्ञान था । धनपत सॉंगी में समाज सेवा व भाई-चारे की भावना बहुत अधिक थी । उन्होंने स्कूल, मन्दिर, चौपालों, धर्मशालाओं, तालाबों आदि के लिए चन्दा इकट्ठा करने के साथ-साथ लोगों का अपनी कला से मनोरंजन भी खूब किया। धनपत सिंह ने अपने सॉंगों में जवाब-सवाल की रागनियॉं बनाई । इन रागनियों में एक बार तो धनपत सॉंग के मुख्य नायक के रूप में दूसरी ओर सॉंग कला में नृत्य स्त्री वेश-भूषा में नायिका का संवाद होता है । धनपत सिंह ने सॉंग कला में नए वाद्य यन्त्र का प्रयोग किया । सॉंग में सबसे पहले कलार्नेट का प्रयोग धनपत सॉंगी ने किया । 

Published

3 January 2023

Series

Details about the available publication format: Paperback

Paperback

ISBN-13 (15)

978-93-94411-46-3

How to Cite

Singh, R. . (Ed.). (2023). धनपत सांगी तथा जियालाल सॉंगी का जीवन-परिचय. In (Ed.), सांगितिक दृष्टिकोण से धनपत सिंह और जीयालाल के सांगों का समीक्षात्मक अध्ययन (pp. 13-38). Shodh Sagar International Publications. https://books.shodhsagar.org/index.php/books/catalog/book/57/chapter/311