Book Title:
सांगितिक दृष्टिकोण से धनपत सिंह और जीयालाल के सांगों का समीक्षात्मक अध्ययन
Keywords:
राजा हरिश्चन्द्र, जियालाल सांगी, राजा नल दमयन्ती, हरियाणवी नाट्य रूपान्तर, मनोरंजन, सुल्तान बाजे भगत, हरियाणवी संस्कृति, लोक-कथाओंSynopsis
मुख्यतः सांग से तात्पर्य भेष बदलना है । प्राचीन काल से ही मानव अपने मनोरंजन के लिए भिन्न-भिन्न साधनों का प्रयोग करता आया है । हरियाणवी संस्कृति में भी इसी परम्परा का पालन करते हुए लोक-कथाओं के माध्यम से सांग की उत्पत्ति हुई है । सांग मुख्यतः हरियाणवी लोकप्रिय कथाओं पर आधारित हरियाणवी नाट्य रूपान्तर है । दीप चन्द हरदेवा, पं. लख्मी चन्द, धनपत सिंह, जमुवा मीर, श्याम धरोदी वाला, पं. मांगे राम, राम किशन व्यास, सुल्तान बाजे भगत, बनवारी ठेल, चन्दगी राम, जिया लाल सांगी आदि सांग कला के प्रमुख कलाकार माने जाते हैं । धनपत सांगी जो कि मुख्यतः रोहतक जिले के निन्दाना गांव के वासी थे, सांग परम्परा में इनका प्रमुख योगदान रहा । उदाहरणार्थ कलार्नेट को सांग में स्थान इन्हीं के द्वारा प्रदान किया गया है । जियालाल सांगी जिन्हंे हम आधुनिक पीढ़ी के सांगी कह सकते हैं ।
धनपत सांगी के प्रमुख सांग ‘लीलो चमन’, ‘राजा हरिश्चन्द्र’, ‘राजा नल दमयन्ती’, ‘हीर रांझा’, ‘ज्यानी चोर’ आदि अठारह अति लोककप्रिय संाग हैं । जियालाल सांगी ने भी इन्हीं की परम्परा का अनुकरण करने के साथ-साथ आधुनिक परिवेश में समायोजन हेतु सांग में कुछ परिवर्तन किए हैं ।
Chapters
References
खेड़ी गॉंव के रांझा सॉंगी से साक्षात्कार के आधार पर ।
पाथरी गॉंव के औमा सॉंगी से साक्षात्कार के आधार पर ।
निन्दाना गॉंव के धनपत सॉंगी के प्रपौत्र राजेश सॉंगी से प्राप्त जानकारी के आधार पर
निन्दाना गॉंव के धनपत सॉंगी के सुपुत्र मैंनपाल से प्राप्त जानकारी के आधार पर।
खेड़ी गॉंव के समुन्द्र लाल सॉंगी से साक्षात्कार के आधार पर ।
गॉंव बुआना के जियालाल सॉंगी के छोटे भाई प्रेमलाल से साक्षात्कार के आधार पर ।
जियालाल सांगी के सुपुत्र रमेश कुमार से साक्षात्कार के आधार पर ।
गॉंव बास के उमेद सॉंगी से साक्षात्कार से प्राप्त जानकारी के आधार पर ।
गॉंव धनाना के जगबीर सॉंगी से साक्षात्कार के आधार पर।
गॉंव बुआना के मदनलाल नृतक से साक्षात्कार के आधार पर

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