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सॉंग में प्रयुक्त लोकवाद्य तथा लोकनृत्य
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Synopsis
1. लोकवाद्य
सॉंग में प्रयुक्त होने वाले वाद्यों (साजों) के चार प्रकार के वर्गीकरण तत्, सूषिर, अवनद, घन के अनुसार यदि हरियाणवी सॉंग के वाद्यों का वर्गीकरण किया जाए तो अनुचित न होगा । यदि हम सॉंग संगीत में प्रयुक्त वाद्यों के वर्गीकरण को उद्देश्य की दृष्टि से देखें तो इनके दो वर्ग बनते हैं। एक वह वर्ग जिन वाद्यों को स्वरोत्पति के लिए बजाते हैं तथा दूसरा वर्ग उन वाद्यों का है जिनका प्रयोग ताल तथा लय के लिए किया है । स्वर देने के लिए तत् और सुषिर वाद्य आते हैं । ताल और लय देने के लिए अवनद और घन वाद्य आते हैं ।
सॉंग में प्रयुक्त होने वाले साजों (वाद्यों) में पहले की अपेक्षा अब थोड़ा परिवर्तन है । पहले सॉंग में ढोलक, सारंगी, नगाड़ा, बीन, घुंघरू, खड़ताल आदि का प्रयोग होता था । लेकिन अब सॉंगों में प्रयोग होने वाले वाद्यों (1) ढोलक (2) हारमोनियम (3) नगाड़ा (4) कर्लानेट (5) सारंगी (6) घुंघरू (7) खड़ताल का प्रयोग होता है । अतः हरियाणवी सॉंग में प्रयुक्त वाद्यों को निम्नलिखित दो वर्गो में बांटा जा सकता है -
(1) ताल और लय के आधार पर वाद्यों का वर्गीकरण
(क) अवनद वाद्य
(ख) घनवाद्य
(2) स्वर देने वाले वाद्यों का वर्गीकरण
(क) तत् वाद्य
(ख) सुषिर वाद्य1
(2) ताल देने वाले वाद्य
(क) अवनद वाद्य
1. ढोलक
ऐतिहासिक दृष्टि से ढोलक का प्रचलन काफी पुराना है । सॉंग में प्रयुक्त होले वाला यह वाद्य हरियाणा में काफी प्रचलित है । हरियाणा में ढोलक का उपयोग मन्दिरों, भजन कीर्तन आदि मंडलियों तथा हरियाणा के शहरों मे विवाह आदि अवसर पर स्त्रियों द्वारा किया जाता है । इस प्रदेश के प्रसिद्ध नृत्य धमाल, फाग नृत्य तथा होली आदि नृत्यों में इस वाद्य का प्रयोग किया जाता है तथा आखा तीज नामक नृत्य मंे डुमनियॉं (हिजड़े) ढोलक बजाती हैं । इसके अतिरिक्त सॉंग (लोक नाटकों) में इस वाद्य का प्रयोग अनिवार्य समझा जाता है ।
Published
3 January 2023
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Details about the available publication format: Paperback
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ISBN-13 (15)
978-93-94411-46-3
How to Cite
Singh, R. . (Ed.). (2023). सॉंग में प्रयुक्त लोकवाद्य तथा लोकनृत्य. In (Ed.), सांगितिक दृष्टिकोण से धनपत सिंह और जीयालाल के सांगों का समीक्षात्मक अध्ययन (pp. 74-91). Shodh Sagar International Publications. https://books.shodhsagar.org/index.php/books/catalog/book/57/chapter/313