Chapter Title:
प्रबंधकीय प्रक्रिया और उसका महत्व एवं विभिन्न स्तरों पर प्रबंधन
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Synopsis
विद्यालयी प्रबन्धन में मानव (शिक्षक, छात्र), मशीन (विद्यालयी उपकरण) माल (शैक्षिक प्रक्रिया) तथा निष्पत्ति, मुद्रा बाजार (शुल्क, अर्थव्यवस्था तथा मानव शक्ति नियोजन), प्रबन्धन (समन्वय) तथा संगठन (प्रबन्धक, प्रधानाचार्य, शिक्षक, कर्मचारी, छात्र, अभिभावक साधन) आदि निहित हैं। इन सबको गतिशील बनाये रखने में प्रबन्धक की भूमिका महत्वपूर्ण है।
प्रबंधकीय प्रक्रिया की आवश्यकता
ब्रीच के शब्दों में- प्रबन्धन, उपक्रम के कार्यों के प्रभावपूर्ण ढंग से नियोजित व नियमित करने का उत्तरदायित्व है। इस उत्तरदायित्व में (अ) योजनानुसार चलते रहने के लिये उपयुक्त कार्य विधि तैयार करना, उसे बनाये रखना, (ब) और उपक्रम की संरचना करने वाले तथा उसके कार्यक्रमों को सम्पन्न करने वाले कर्मचारियों का मार्ग निर्देशन, संगठन, तथा निरीक्षण निहित हे।श् अतःरू स्पष्ट है कि प्रशासन, प्रबन्धन, निष्पादन तथा उत्तरदायित्व सम्बन्धी कार्यों में अन्तर पाया जाता है।
1. प्रबन्धन एक जन्मजात प्रतिभा है-प्रबन्धन, नेतृत्व प्रदान करता है। नेता पैदा होते हैं, बनाये नहीं जाते। उनके वंशानुगत प्रभाव उनकी कार्य-प्रणाली को प्रभावित करते हैं।
2. प्रबन्धन एक सामाजिक विज्ञान है-प्रबन्धन, केवल प्रक्रिया ही नहीं है, यह सामाजिक विज्ञान के रूप में आया है। यह कार्य-कारण सम्बन्धों का विवेचन करता हे।
3. प्रबन्धन एक कला है-प्रबन्धन को व्यवसाय के रूप में लिया जाता है। प्रबन्धन विज्ञान का प्रशिक्षण प्राप्त कर व्यक्ति अपनी योग्यताओं एवं क्षमताओं का उपयोग प्रतिष्ठित संस्थानों में करता हे।
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